महिलायें राजनीति में आयें आर्थिक-आत्मनिर्भर बनें
चिपको आंदोलन की सशक्त हस्ताक्षर कमलापंत नशामुक्ति आंदोलन की भी अगुआ रही हैं. आजकल स्वराज पार्टी की उत्तराखंड की राज्य संयोजक कमला पंत महिलाओं को सक्रियता और आत्मनिर्भरता का सन्देश दे रही हैं.
View Articleअनागत का भविष्य
योगेश गुप्त योगेश गुप्त की कहानियों के बारे में जैनेंद्र कुमार ने कहा था, योगेश की कहानियां निश्चय ही हिंदी साहित्य की उपलब्धि हैं...लीक से हटकर...इनकी विशेषता यह है कि इनके कथ्य का सम्प्रेषण वाक्यों...
View Articleइतिहास में पहली बार, गृहणियों के पारिश्रमिक के हक़ में कोर्ट का फैसला
कादम्बरीफ्रीलांस पत्रकार.स्त्री मुद्दों पर केन्द्रित पत्रकारिता करती है. सम्पर्क : kadambari1992@gmail.comकुछ ऐतिहासिक फैसले चुपके से आते हैं और बिना चर्चा के ओझल हो जाते हैं. न चर्चा की भी अपनी...
View Articleमहिला पत्रकारों को अपनी सलाहकार समिति में शामिल करेगी बिहार विधानसभा (!)
राजीव सुमनदेश भर से आयी महिला पत्रकारों ने लैंगिक असमानता और घरेलू हिंसा जैसे संवेदनशील मुद्दे को समवेत स्वर से चिह्नित किया, वहीं बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय नारायण चौधरी को बाध्य किया कि वे घोषित...
View Articleपांच रूपये और पांच मिनट का क्रूर फेयर और लवली व्यापार
दक्षम द्विवेदीcontent writer संवाद 24 वेब पोर्टल. सम्पर्क : mphilldaksham500@gmail.com स्त्रियों की स्थिति और दशा को लेकरपिछले कई दशकों से एक वैचारिक क्रांति देखने को मिली किन्तु उस चिंतन का केंद्र...
View Articleअंजना टंडन की कविताएँ
अंजना टंडनविजिटिंग प्रोफेसर, राजस्थान विश्वविद्यालय. आई क्रिएट नामक संस्थान में मास्टर ट्रेनर. छः काव्य संग्रह प्रकाशित. सम्पर्क :anjanatandon87@gmail.comमो.09314881179 1प्रेम जो मुझ से लिखा गयावो सहज...
View Article‘दर्दजा‘: हव्वा को पता होता तो वह बेऔलाद रह जाती
प्रो. चन्द्रकला त्रिपाठीप्रोफेसर, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, बनारस. वरिष्ठ आलोचक. सम्पर्क :मो.9415618813‘दर्दजा’ पढ़ते हुए आप हर्फ ब हर्फ़ खुद को स्त्री पर हमलावर यातनाओं को जिंदा अनुभवों की शिद्दत में...
View Articleनैचुरल सेल्फी की मुहीम: सौन्दर्य बाजार को लड़कियों की चुनौती
सोशल मीडिया पर आईआईएमसी की पूर्व छात्रागीता यथार्थ यादव ने एक मुहीम शुरू की है #NaturalSelfi नाम से. अपने किस्म से यह ख़ास मुहीम है बाजार द्वारा प्रायोजित सौन्दर्य बोध और उसे बने मुनाफे के अर्थशास्त्र...
View Articleऔर आप हमें पुरस्कार समारोह में दिल्ली आमंत्रित कर रहे हैं: हिन्दी अकादमी से...
स्त्रीकाल डेस्क हिमाचल की राजधानी शिमला में जनता सडक पर है. शिमला जिले के एक गाँव में एक लडकी के बीभत्स बलात्कार के आरोपियों को पुलिस ने जब बचाना शुरू किया तो लोगों में आक्रोश फ़ैल गया. 4 जुलाई को हुए...
View Articleस्त्रीकाल द्विमासिक ई जर्नल (शोध), अंक 25 (अगस्त-सितंबर, 2017)
स्त्रीकाल द्विमासिक ई जर्नल (शोध), अंक 25 (अगस्त -सितंबर, 2017) by Streekaaleditor on Scribd
View Articleकांशीराम से मायावती तक: दलित राजनीति और दलित स्त्री-प्रश्न
प्रियंका सोनकर प्रियंका सोनकर असिस्टेन्ट प्रोफेसर दौलत राम कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय. priyankasonkar@yahoo.co.in दलित राजनीति में महिलाओं की संख्या कम है । दलित राजनीति में कुल मिलाकर तीन-चार ही...
View Articleमोदी जी, लहू का लगान आपकी लुटिया न डुबो दे !
ज्योति प्रसाद शोधरत , जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय. सम्पर्क: jyotijprasad@gmail.com कुछ समय पहले टीवी और अखबारों में औरत और उसकी माहवारी को एक खास चित्र से पेश किया जाता था। चित्र में दो महिलायें...
View Articleयस पापा
अरविंद जैन स्त्री पर यौन हिंसा और न्यायालयों एवम समाज की पुरुषवादी दृष्टि पर ऐडवोकेट अरविंद जैन ने महत्वपूर्ण काम किये हैं. उनकी किताब 'औरत होने की सजा'हिन्दी में स्त्रीवादी न्याय सिद्धांत की पहली और...
View Articleऔर मैं फूलनदेवी से जुड़ गई
श्वेता यादव सामाजिक कार्यकर्ता, समसामयिक विषयों पर लिखती हैं. संपर्क :yasweta@gmail.com 2002- 04 के आसपास की बात है| यह समय मेरा हाईस्कूल-इंटर का है| शुरू से ही स्वभाव मेरा काफी अक्खड़ है| किसी भी गलत...
View Articleबलात्कार को सिर्फ परिचर्चा का विषय नहीं बनायें
कुमारी ज्योति गुप्ता बलात्कार सिर्फ एक स्त्री के खिलाफअपराध नहींबल्कि यह पूरी मानव सभ्यता और इंसानियत के खिलाफ अपराध है। कुछ दिनों पहले शिमला की गुड़िया के साथ जो हुआ वह कुछ नया नहीं है।अब तो ऐसा लगता...
View Articleस्त्री लेखन का स्त्रीवादी पाठ
सर्वेश पांडेय सर्वेश पांडेय ने स्त्री अध्ययन में शोध किया है , अभी महिला आयोग में कार्यरत हैं . संपर्क : मोबाइल न.- 08756754651 हिन्दी साहित्य में 60-70 के दशक के दौरानलेखिकाओं का आगमन...
View Articleलिपस्टिक अंडर माय बुर्का : क़त्ल किए गए सपनों का एक झरोखा
ज्योति प्रसादसुनिए, कहानी की शुरुआत पर ध्यान दीजिये। यह किसी लड़की के जीवन में वहीं से शुरू हो जाती है जब दाई या नर्स क्या हुआ है पूछने पर यह बताती है कि लड़की हुई है तभी, ठीक उसी समय से ‘नियम व शर्तें...
View Articleलिव-इन- संबंध एवं जातीय संरचना
विकाश सिंह मौर्यदुनिया भर के मुल्कों के बाशिंदों के लिए इक्कीसवीं सदी की शुरुआत भारी झंझावातों के साथ हुई है. इन झंझावातों की पूर्वपीठिका बीसवीं सदी के आखिरी दो दशकों की बौद्धिक, राजनीतिक, आर्थिक,...
View Articleजेंडर और विज्ञान: एक नारीवादी परिप्रेक्ष्य
अतुल कुमार मिश्रमहात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में शोधार्थी है. सम्पर्क : atulmishra.mediagroup@gmail.comRepresentation of the world like the world itself is the work of men;...
View Articleसावधान ! यहाँ बुर्के में लिपस्टिक भी है और जन्नत के लिप्स का आनंद लेती उषा की...
संजीव चंदन पुरुषों के मुकाबले हमारी यौनिकता अधिक दमित है. हमपर आचरण के जितने कड़े नियम आरोपित किये गये हैं उतने कभी भी पुरुषों पर आरोपित नहीं रहे. केट मिलेट, सेक्सुअल पॉलिटिक्सWe're more sexually...
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