सत्यप्रकाश की कविताएं (शब्द व अन्य)
सत्यप्रकाश1.शब्दकिताबों में लिखे शब्द चाभी होते हैं।इतिहास की कुढ़ संस्कृति केजिससे कलपुर्जों को खोला जाता है ।कुछ शब्द बदलते चेहरों का हिसाब होते हैं ।कुछ शब्दों से खोखली सभ्यताओं को दुरुस्त किया जाता...
View Articleतीस घटा पाँच बराबर आज़ाद और मुकद्दस औरत (पतनशील पत्नियों के नोट्स से)
नीलिमा चौहान पेशे से प्राध्यापक नीलिमा समाकालीन बहुचर्चित लेखिकाओं में से एक हैं. प्रकाशित पुस्तकें: पतनशील पत्नियों के नोट्स, 'बेदाद ए इश्क' (संपादित) संपर्क : neelimasayshi@gmail.com. आज़ाद मिजाज़ हूँ...
View Articleपरीक्षा विभाग के कर्मचारी ने हिन्दी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति वी एन राय...
प्रेस विज्ञप्तिमहात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय,वर्धा, में एक फर्जी मायग्रेशन प्रकरण में पूर्व कुलपति, साहित्यकार और पुलिस के बड़े अधिकारी रहे विभूति नारायण राय एवं विश्वविद्यालय के कुछ...
View Articleमुन्नी गुप्ता की कविताएं ( प्रेतछाया और रोटी का सवाल व अन्य)
मुन्नी गुप्ताअसिस्टेंट प्रोफ़ेसर, हिन्दी विभाग, प्रेसिडेंसी कॉलेज, कोलकाता, संपर्क:munnigupta1979@gmail.com कैनवास रंग और जीवनसमन्दर नेचिड़िया की हथेली मेंतूलिका थमा दी.और,गहरे विश्वास से कहा,रचो,अपने...
View Articleस्त्रीकाल शोध पत्रिका अंक (30)
इस अंक के लेखक: पल्लवी, राहुल,शशांक शुक्ला, पूजा, सुबोधकांत, ज्योतिशर्मा, सत्यप्रकाश, शाइस्ता सैफी,आरती, ललिता बघेल, प्रोफेसर सुधा, जीतेन्द्र, आरती, माधवी धुर्वे, विनीत सिंह, मो बिलाल, किरण तिवारी ,...
View Articleएम.जे. अकबर के मानहानि मुकदमे में नया मोड़: दिल्ली बार काउंसिल दिल्ली ने...
स्त्रीकाल डेस्क पूर्व केन्द्रीय मंत्री एम जे अकबर द्वारा दिल्ली केपटियाला हाई कोर्ट में दायर मानहानि के मुकदमे में खुद उनके लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं. 27 अक्टूबर को दिल्ली बार कौंसिल ने उनके वकील को...
View Articleयौन स्वतंत्रता, कानून और नैतिकता (अरविन्द जैन)
वर्तमान भारतीय समाज का राजनीतिक नारा है 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ', मगर सामाजिक-सांस्कृतिक आकांक्षा है 'आदर्श बहू'।वैसे भारतीय शहरी मध्य वर्ग को 'बेटी नहीं चाहिए', मगर बेटियाँ हैं तो वो किसी भी तरह की...
View Article#MeToo (मीटू) ने औरतों को विरोध की भाषा दी: मेरा रंग के दूसरे वार्षिक समारोह...
प्रेस नोट स्त्रियों के मुद्दों पर काम कर रही संस्था मेरारंग के वार्षिक समारोह का पूरा दिन स्त्री विमर्श और स्त्री अभिव्यक्ति के नाम रहा। शनिवार को गांधी शांति प्रतिष्ठान के सभागार में पहली बार हिन्दी...
View Articleभिखारी ठाकुर की तुलना शेक्सपियर से करना भिखारी ठाकुर का अपमान है
आँचल अंग्रेजी साहित्य की शोधार्थी आंचल भिखारी ठाकुर की तुलना शेक्सपियर से किये जाने को भिखारी ठाकुर का अपमान बता रही हैं. इस टिप्पणी के अनुसार हमेशा राजघरानों को केंद्र में लेकर नाटक लिखने वाले और...
View Articleकस्तूरबा गांधी शर्मासार: कस्तूरबा स्कूल में लड़कियां की गयीं फिर नंगी
सुशील मानव ‘मेरे हॉस्टल के सफ़ाई कर्मचारी ने सेनिटरी नैपकिनफेंकने से कर दिया है इनकारबौद्धिक बहस चल रही हैकि अख़बार में अच्छी तरह लपेटा जाए उन्हेंढँका जाए ताकि दिखे नहीं ज़रा भी उनकी सूरतकरीने से डाला...
View Articleतानाशाह के खिलाफ वह खूबसूरत शख्सियत, हमें भी पढ़ा गयी पाठ!
संध्या नवोदिताफहमीदा रियाज़ से मेरा पहला परिचय उनकी कविताओं से हुआ था।उनसे आमने-सामने मिलने से पहले उनकी नज़्में लाखों पाठकों की तरह मेरे भी जेहन पर छा गईं थीं। बाद में इलाहाबाद में जन संस्कृति मंच ने एक...
View Articleबेपढ़ ऐंकरों द्वारा दलित साहित्य पर हमले की नाकाम कोशिश अर्थात साहित्य आजतक
सुशील मानव साहित्य आज तक के दूसरे संस्करण में प्रगतिशीलता, सहिष्णुता, साहित्य, वामपंथी विचारधारा, स्त्री विमर्श और दलित विमर्श निशाने पर रहे। दलित लेखन पर तो उन सत्रों में भी हमला बोला गया जो कि दलित...
View Articleक्रूर और हिंसक यथार्थ में प्रेम और करुणा को बचाये रखने की कोशिश है समकालीन...
मीना बुद्धिराजाकविता अपनी संरचना और प्रकृति में तमाम भेद-भावोंसे परे और लिंग,वर्ण,समुदाय, जाति- वर्ग की अवधारणाओं से मुक्त और आज़ाद रहती है । मानवीय संवेदना और नियति के सामूहिक प्रश्नों को नि:संदेह...
View Articleवे 15 महिलायें जो सविधान सभा की सदस्य थीं,महिला अधिकारों के संघर्ष की...
26 नवंबर, संविधान दिवस विशेष जानिये उन 15 महिलाओं को जो संविधान सभा की सदस्य थीं. उन 15 महिलाओं में एकमात्र दलित महिला सदस्य केरल से थीं, जो केरल में दलित महिलाओं की उस पीढी से थीं, जिसने पहली बार...
View Articleस्त्री की यौन मुक्ति की लड़ाई, जो प्रो. कर्वे और डा. अम्बेडकर हार गये थे
संविधान दिवस विशेष लेखक: राजीव सुमन स्त्री के लिए यौन-मुक्ति की यह लड़ाई 1934 में प्रोफेसर कर्वे के पक्ष में डा. अम्बेडकर ने लड़ी थी. हालांकि बाबा साहेब यह केस हार गये लेकिन उनकी बहस के विचार संविधान में...
View Articleतुम्हारी माँ भी छेड़छाड़ की शिकार हुई, बेटों तुम्हें जानना चाहिए औरत की देह पर...
स्त्रीकाल डेस्क विश्व मुक्केवाजी चैम्पियनशिप में छठा स्वर्ण पदक जीतने वाली मैरी कॉम ने अपने साथ हुई यौन हिंसा और नस्लीय उत्पीड़न के बारे में अपने बेटों को एक चिट्ठी लिखकर बताया। मैरी कॉम तीन बच्चों की...
View Articleन मार्क्सवाद, न अंबेडकरवाद, न स्त्रीवाद , बस एक्सपोजर चाहिए और मंच
सुशील मानव देश और समाज में नफ़रत, वैमनस्य, असहिष्णुता, हताशा और मातम का माहौल है और साहित्य में लगातार एक के बाद उत्सव मनाए जा रहे हैं। पिछले ही सप्ताह इंडिया टुडे समूह का साहित्योत्सव‘साहित्य आजतक’...
View Article‘लड़की के शरीर पर मेरा चेहरा था, वो कपड़े उतार रही थी और मैं रो रही थी’: राणा...
पत्रकार राणा अयूब ने हाल में खुलासा किया कि वह एक भयंकर अश्लील वीडियो के हमले का शिकार हुईं. उनका पोर्न बनाकर वायरल करने वाली जमात कथित रूप से कुंठित राष्ट्रवादियों की जमात थी, जो एक बड़ी राजनीतिक...
View Articleसमता की सड़क जोतीबा फुले से होकर गुजरती है.
विकाश सिंह मौर्यजोतीबा फुले के परिनिर्वाण दिवस पर विशेष आज 28 नवंबर है। 28 नवंबर 1890 को जोतीराव गोविंदराव फुलेका परिनिर्वाण हुआ था। आज उन्हे याद करते हुए भारतीय समाज मे व्याप्त विसंगतियों और शोषण के...
View Articleबेड़ियाँ: अरविंद जैन की कहानी
अरविंद जैनअस्पताल के वार्ड नंबर 13 में घुसते ही अम्माँ दिखाई दे गई।बिस्तर पर बैठी अखबार के पन्ने फाड़-फाड़ कर, किश्तियाँ और हवाई जहाज बना रही है। मुझे देखते ही बोलने लगी "हो गई तेरी पढ़ाई पूरी (बी.ए......
View Articleराष्ट्रवाद, विश्वविद्यालय और टैंक: संदीप मील की कहानी
संदीप मील''हमारी बात की खिलाफ़त करने वालों का मुँह बंद कर दो।''''जनरल, सारी ताक़त इसी पर लगा रखी है। जल्द ही हो जाएगा।''''तुम समझ गए होगे कि मुझे कैसा मुल्क चाहिए।''''जनरल, आपको ऐसा मुल्क चाहिए जिसमें...
View Articleमाहवारी में हिमाचली महिलाएं नारकीय जीवन को मजबूर!
टीनाहिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है लेकिन फिर भी भले ही बदलते युग में समाज महिलाओं और पुरुषों को समान दर्जा देने की बात करता हो लेकिन इस सबके बावजूद हिमाचल प्रदेश में कुछ ऐसे भी गांव हैं जहां आज...
View Articleपिंजरे की तीलियों से बाहर आती मैना की कुहुक
स्मरणचंद्रकिरण सौनरेक्सा की 98 वीं जयंती पर... सुधा अरोड़ा''मैं देश के निम्नमध्यवर्गीय समाज की उपज हूं।मैंने देश के बहुसंख्यक समाज को विपरीत परिस्थितियों से जूझते, कुम्हलाते और समाप्त होते देखा है। वह...
View Article'दीवार में एक खिड़की रहती थी'उपन्यास में प्रकृति चित्रण
कस्तूरी वक्रवर्ती प्रकृति व्यापक अर्थ में, प्राकृतिक, भौतिक या पदार्थिकजगत या ब्रह्माण्ड हैं। प्रकृति का मूल अर्थ ब्रह्माण्ड है। इस ब्रह्माण्ड के एक छोटे से, टुकड़े के रूप में, इस पृथ्वी का अस्तित्व...
View Articleनाक की फुरूहुरी: सोनी पांडेय कहानी
सोनी पांडेयसोनी पांडेय लगातार लोक जीवन और ग्रामीण स्त्री-जीवन की प्रभावशाली कहानियाँ लिख रही हैं. ऐसे समय में जब महिला लेखन में यह परिवेश लगभग छूटता जा रहा है सोनी पांडेय की कहानियाँ आश्वस्त करती हैं....
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