स्त्रीकाल डेस्क
उर्दू की मशहूर लेखिका इस्मत चुगताई की मंगलवार यानी 21 अगस्त को 107वीं जयंती है, इस मौके पर गूगल ने एक डूडल बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। इस्मत चुगताई ने अपनी रचनाओं के जरिए महिलाओं के सवालों को नए सिरे से समाज के सामने उठाया। इन्हें इस्मत आपा के नाम से भी जाना जाता है। गूगल ने अपने डूडल में इस्मत चुगताई को सफेद रंग की साड़ी पहने हुए दिखाया है, इस डूडल में वो लिखती हुई नजर आ रही हैं।इस्मत चुगताई के जन्म को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति है। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक इनका जन्म 15 अगस्त 1915 को बताया जाता है। वहीं अन्य जगह 1915 के 21 अगस्त को बताया जाता है। इस्मत का जन्म यूपी के बदायूंं में हुआ था। वह दस भाई बहन थीं। इस्मत अपने माता-पिता की नौवीं संतान थीं।
1942 उन्होंने अपनी सबसे विवादित कहानी 'लिहाफ'लिखी थी,जिसके कारण उनके ऊपर लाहौर हाई कोर्ट मे मुकदमा भी चला। आरोप था कि चुगताई ने अपने इस लेख में अश्लीलता दिखाई है। हालांकि ये मुकदमा बाद में खारिज हो गया। इस कहानी को भारतीय साहित्य में लेस्बियन प्यार की पहली कहानी भी माना जाता है। दरअसल अपने इस लेख में चुगताई ने एक गृहणी की कहानी दिखाई थी जो पति के समय के लिए तरसती है।

इस्मत चुगताई पूरी जिंदगी अपनी कलम को बंदूक बनाकर महिलाओं के हक के लिए लड़ती रहीं। उन्होंने अपनी रचनाओं के जरिए महिलाओं की दबी हुई आवाज को दुनिया के सामने उठया। चुगताई ने विशेष तौर पर अपनी रचनाओं में निम्न और मध्यम वर्ग से आनी वाली मुस्लिम तबके की लड़कियों की दबी-कुचली आवाज उठाई।इस्मत ने 1938 में लखनऊ के इसाबेला थोबर्न कॉलेज से बी.ए. किया। उन्होंने कहानी संग्रह- चोटें, छुई-मुई, एक बात, कलियां, एक रात, शैतान, उपन्यास- टेढ़ी लकीर, जिद्दी, दिल की दुनिया, मासूमा, जंगली कबूतर, अजीब आदमी भी लिखी। उन्होंने आत्मकथा भी लिखी। 24 अक्टूबर 1991 में वह इस दुनिया से रुखसत हुईं। मुंबई में उनका इंतकाल हुआ और उनकी वसीयत के मुताबिक, उनका अंतिम संस्कार चिता जलाकर किया गया।
टाइम्स नाउ हिन्दी से साभार
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