स्त्रीकाल डेस्क
'गानसरस्वती 'नाम से समादृत भारतीय शास्त्रीय संगीत गायिका किशोरी आमोनकर का सोमवार देर रात मुम्बई में निधन हो गया. 84 साल की उम्र में हमें अलविदा कह गई किशोरी ताई अमोणकर का सम्बन्ध अतरौली जयपुर घराने से रहा है। उनकी मां मोगुबाई कुर्डीकर भी इसी घराने की मशहूर शास्त्रीय गायिका थीं।
10 अप्रैल 1931 को मुम्बई में ही पैदा हुई 'गानसरस्वती ' किशोरी ताई ने अपनी मां और विख्यात गायिका मोगुबाई कुर्डिकर को अपना गुरु माना और संगीत साधना की. 'स्वरार्थरमणी - रागरससिद्धान्त'यह संगीतशास्त्र पर आधारित ग्रंथ की वह रचयिता थीं. ख्याल, ठुमरी और भजनों की इस शास्त्रीय गायिका को शास्त्रीय संगीत में भावनाप्रधान गायन कला को पुनर्जीवित करने का श्रेय जाता है.
सुनें यह तराना
किशोरीताई अमोणकर कई सम्मान से सम्मानित थी. 2002 में पद्म विभूषण से सम्मनित होने के पहले वे संगीत नाटक अकादमी सम्मान, 1985 , पद्मभूषण सम्मान, 1987 , संगीत सम्राज्ञी सम्मान, 1997 से सम्मानित हो चुकी थीं. उसके बाद भी संगीत संशोधन अकादमी सम्मान, 2002 संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप, 2009 से वे सम्मानित हुईं 1964 की हिन्दी फिल्म , 'गीत गाया पत्थरों ने' में उन्होंने गायन किया था, और 1991 में रिलीज हुई 'दृष्टि' फिल्म में उन्होंने संगीत निर्देशन किया था.
उनके चाहने वालो के द्वारा दिया गया उनका नाम गानसरस्वती हालांकि उनका सबसे बड़ा सम्मान था. उनके पति रवि आमोनकर ने उनका पूरा साथ दिया.1992 में रवि अमोनकर का निधन हुआ है.
'गानसरस्वती 'नाम से समादृत भारतीय शास्त्रीय संगीत गायिका किशोरी आमोनकर का सोमवार देर रात मुम्बई में निधन हो गया. 84 साल की उम्र में हमें अलविदा कह गई किशोरी ताई अमोणकर का सम्बन्ध अतरौली जयपुर घराने से रहा है। उनकी मां मोगुबाई कुर्डीकर भी इसी घराने की मशहूर शास्त्रीय गायिका थीं।
10 अप्रैल 1931 को मुम्बई में ही पैदा हुई 'गानसरस्वती ' किशोरी ताई ने अपनी मां और विख्यात गायिका मोगुबाई कुर्डिकर को अपना गुरु माना और संगीत साधना की. 'स्वरार्थरमणी - रागरससिद्धान्त'यह संगीतशास्त्र पर आधारित ग्रंथ की वह रचयिता थीं. ख्याल, ठुमरी और भजनों की इस शास्त्रीय गायिका को शास्त्रीय संगीत में भावनाप्रधान गायन कला को पुनर्जीवित करने का श्रेय जाता है.
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किशोरीताई अमोणकर कई सम्मान से सम्मानित थी. 2002 में पद्म विभूषण से सम्मनित होने के पहले वे संगीत नाटक अकादमी सम्मान, 1985 , पद्मभूषण सम्मान, 1987 , संगीत सम्राज्ञी सम्मान, 1997 से सम्मानित हो चुकी थीं. उसके बाद भी संगीत संशोधन अकादमी सम्मान, 2002 संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप, 2009 से वे सम्मानित हुईं 1964 की हिन्दी फिल्म , 'गीत गाया पत्थरों ने' में उन्होंने गायन किया था, और 1991 में रिलीज हुई 'दृष्टि' फिल्म में उन्होंने संगीत निर्देशन किया था.
उनके चाहने वालो के द्वारा दिया गया उनका नाम गानसरस्वती हालांकि उनका सबसे बड़ा सम्मान था. उनके पति रवि आमोनकर ने उनका पूरा साथ दिया.1992 में रवि अमोनकर का निधन हुआ है.