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कथित उदार नजरिया भी ब्राह्मणवादी नजरिया है

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स्त्रीकाल डेस्क 

पीपल्स पार्टी ऑफ इंडिया की राष्ट्रीय उपाध्यक्षऔर बहुजन समाज की जानी मानी नेत्री डॉ मनीषा बांगर पिछले दिनों कनाडा के ब्राह्मप्टन शहर में 6 मई को गुरु गोविंद सिंह महाराज की 319वीं जयंती के कार्यक्रम में शिरकत करने भारत से गयी थीं.  उन्होंने  अपने इस दौरे में  भारत की  मूल समस्याओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाया। डॉ मनीषा बांगर को मुख्य प्रवक्ता के तौर पर आमंत्रित किया गया था।



डॉ मनीषा बांगर ने भारत में ब्राह्मणवादी व्यवस्था केखिलाफ जमकर प्रहार किया, साथ ही जातीय भेदभाव और संप्रदायिक घटनाओं को लेकर भी बेबाकी से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि दुनिया भर के शोषित पीड़ित समाज के लिए विरोधी ताकतों के खिलाफ एक मंच पर आकर उनको मुंह तोड़ जवाब देने की जरुरत है।

कार्यक्रम के दौरान डा मनीषा बांगर ने श्रोताओं की एक बड़ी जमात को  संबोधित करते हुये कहा कि 'खालसा'का मकसद ब्राह्मणवादी व्यवस्था को खत्म करना और बहुजन मूलनिवासियों का उत्थान करना था। दुनिया भर से हजारो सिखों की मौजूदगी में मनीषा बांगर ने कहा कि खालसा राज  तभी स्थापित हो सकेगा जब सिख समाज खुद को मजबूत करेगा और बहुजन, मूलनिवासी, शोषित वर्ग के साथ गठजोड़ बना सकेगा।

इस दौरे में डॉ मनीषा बांगर कनाडा के कई मीडिया हाउस (आवाज रेडियो, ओएमनीआई फोकस, पंजाबी और डेटलाइन टूरंटो पंजाबी चैनल, महफ़िल टी वी , Prime Asia TV)  के कार्यक्रमों में शामिल हुई। चर्चा के दौरान उन्होंने भारत की ब्राह्मणवादी मीडिया पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि भारत की मेनस्ट्रीम मीडिया सिर्फ ब्राह्मणों की आवाज है और कुछ नहीं। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया का माध्यम आ जाने की वजह से लोगों को कुछ हद तक सूचनाओं की जानकारी मिल जाती है। कुछ यूट्यूब चैनल और वेबसाइट के जरिए लोगों तक जमीनी हकीकत से रुबरु कराने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने इस बात को भी उजागर किया कि अन्य देशों की तरह भारत में उदार प्रगतिशील मीडिया नाम की कोई चीज नहीं है क्योंकि भारत में तथाकथित उदारवादी नजरिया  भी ब्रहामणवादी नजरीया ही है. वह महज एक ढकोसला है,  क्योंकि वे न वंचितो को मीडिया में अपनी बात कहने का अवसर देते हैं,  न नौकरियाँ देते हैं, न ही वंचितो के मुद्दे सही तरह से उठाते हैं.



इसके बाद 10 मई को डॉ मनीषा बांगर ने ब्रॉम्पटनशहर की पूर्व पार्षद और अभी की मेयर लिंडा जैफरी से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने प्रोफेसर नरेंद्र कुमार और  क्रिस्टोफर जेफ्रले द्वारा लिखित 'डॉ अंबेडकर एंड डेमोक्रेसी'  लिंडा जैफरी को सम्मान के तौर पर भेट की. उन्होंने बताया कि उनकी लिंडा के साथ देश की स्वास्थ्य नीति से लेकर EVM तथा राजनिति के क्षेत्र में महिला- प्रतिनिधित्व जैसे  अनेक विषयों पर चर्चा हुई.

11 मई को  डॉ मनीषा बांगर ने लेखक  पीटर फ्रेडरिक औरवहाँ के प्रोफ़ेसर मा. चिन्नैया ज़ंगम और अनेक अंतरराष्ट्रीय शोधार्थियों  से ओटावा  के Carleton University में मुलाकात की।

पीटर फ्रेडरिक ने गांधी पर गहन अध्ययन किया है . उन्होंने अपने वक्तव्य मे बताया कि गांधी ने रंग भेदभाव का समर्थन किया जबकि डॉ अंबेडकर ने भारत में जातीय भेदभाव के खिलाफ लंबा संघर्ष किया। वहीं डॉ मनीषा बांगर ने भी डॉ अंबेडकर के वैश्विक नजरिए पर बात की।

डॉ मनीषा बांगर ने आगे ओबीसी वर्ग की बात रखते हुएकहा कि यह समाज भी छुआछूत का नहीं लेकिन जाति-भेदभाव का बड़ा शिकार हुआ है। मीडिया एक साजिश के तहत इस बात को हवा दे रही है कि ओबीसी वर्ग के लोग एससी समाज पर जुल्म कर रहा है। उन्होंने कहा कि सिख और मुस्लिम की जो सामाजिक तौर पर सोच है उसको हिंदूवादी संगठन टारगेट कर रहे हैं। हिंदुत्वादी सोच सिख, मुस्लिम, ईसाई और बहुजन समाज को दुश्मन मानते हुए उन पर हमलावर बने रहना चाहती है।

“भारत में अहम मुद्दों पर बात नहीं की जाती है यदि वहां के लोग अपनी मूलभूत समस्याएं जैसे शिक्षा पर बात करें तो रोहित वेमुला जैसा हाल कर देते हैं। और अगर जेएनयू के छात्र अपने अधिकारों को लेकर आवाज बुलंद करते हैं तो उनको एंटीनेशनल घोषित कर दिया जाता है।”

उन्होंने अंबेडकरवाद पर बात रखते हुए कहाकि समाज में समानता लोकतंत्र के लिए बेहद जरुरी है। डॉ मनीषा बांगर ने कहा कि अगर बहुजन समाज सत्ता में आता है तो ब्राह्मणवादी और जाति- व्यवस्था को खत्म करेंगे।

12 मई को डॉ मनीषा बांगरपीटर फ्रेडरिक और भजनसिंह ने Captivating the Simple-Hearted: A Struggle for Human Dignity in the Indian Subcontinent किताब का विमोचन किया। जिसमें डॉ बांगर ने कहा कि भारत का इतिहास 500AD से लेकर 1800 तक डार्क रहा है। उस काले समय में गुरुनानक देव जी ने रौशनी दिखाने का काम किया। साथ उन्होंने कहा कि मैनस्ट्रीम मीडिया भारत के लोकतंत्र के लिए खतरा है, यह आजाद मीडिया नहीं है क्योंकि यह ब्राह्मणवादी मीडिया है।

डॉ मनीषा बांगर ने कहा कि इस समय में बहुत जरुरी है कि हम बहुजन अल्टरनेटिव मीडिया तैयार करें और दुनिया भर में लोकतंत्र को जिंदा रखे। वहीं ओएफएम आई के फोंडिग डायरेक्टर भजन सिंह ने नेशनल इंडिया न्यूज की प्रशंसा करते हुए कहा कि हम आगे चलें जैसा कि डॉ अंबेडकर ने कहा है कि कारवां को आगे ले चलें। इसके अलावा उसी दिन शाम को डॉ मनीषा बांगर यार्क युनिवर्सिटी लाइब्रेरी  में लगी डॉ अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण  किया।



डॉ मनीषा बांगर के कनाडा दौरे  पर पीटर फ्रेडरिक और भजनसिंह ने प्रिजंटेशन दिया, बौद्ध जंयती मनाई गई जो कि अंबेडकर मिशन टूरंटो ने होस्ट किया।

बौद्धों को संबोधित करते हुये डा मनीषा बाँगर ने कहा कि 'धम्म को ब्रहामण संगठन आरएसएस एवं तथाकथित प्रगतिशील ब्रहामणो की धुसपैठ से सबसे ज़्यादा ख़तरा है. इतिहास गवाह है कि बौद्ध धम्म को सबसे गहरी क्षति इन्होंने पहुँचाई है. बौद्ध धम्म को अदंर से तहस-नहस करना इस षड्यंत्र के तहत ये ताकतें आज भी दिन रात काम कर रही हैं,  क्योंकि बौद्ध धम्म मे ही वह ताक़त है किह ब्रहामण वाद को चुनौती दे सके. बौद्धों के बहुत  सचेत रहने का समय है. डा मनीषा ने सबसे यह अनुरोध करते हुये अपना वक्तव्य समाप्त किया कि बौद्ध अपनी अनुकंपा अपने सांस्कृतिक तथा ऐतिहासिक दुश्मनों पर विश्वास  करने के बजाय अपने धम्म पर करें  और धम्म के नीति ,मूल्यों एवं इतिहास का संरक्षण करें.

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