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पटना में धर्मांतरण के नाम पर ईसाई परिवार की प्रताड़ना: जांच दल

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डेस्क 
बिहार से लगातार ऐसी खबरें आ रही हैं, जो बिहार में बढ़ते साम्प्रदायिक तापमान की सूचक हैं. कई जिलों में साम्प्रदायिक तनाव पैदा करने की खबरों के बीच इस बार राजधानी से हिंदूवादी जमातों के दवाब में पुलिस प्रशासन द्वारा एक ईसाई परिवार की प्रताड़ना की खबर है- ऐसा लगता है कि हिंदूवादी सरकार के आगे नीतीश सरकार पूरी तरह बेवश है. इस मामले की जांच के लिए बने जांच दल की रिपोर्ट:


रुपसपुर घटना की जांच करने गयी टीम के सदस्यों के नाम
1. निवेदिता  ( बिहार महिला समाज की कार्यकारी अध्यक्ष)
2. रुपेश (सामाजिक कार्यकर्ता)
3.निशा पटना (उच्य न्यायालय की अधिवक्ता)
4.सुशील कुमार (छात्र संगठन) 
5.इशतियाक (सामाजिक कार्यकर्ता)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नीतीश कुमार 


बिहार की राजधानी अभी तक धार्मिक और साम्प्रदायिक आग से बची हुई है, पर इस आग को लहकाने की पूरी तैयारी की जा रही है। पिछले दिनों पटना में भी धर्म के नाम पर जहर घोलने की कोशिश हुई। इस कोशिश में एकबार फिर आर.एस.एस और विश्व हिन्दू परिषद का नाम आ रहा है। यह काम काफी बारीकी से किया जा रहा  है। इसबार उनके निशाने पर एक ईसाई परिवार है। 

यह घटना 29 अप्रैल सुबह 10. 30 बजे की है।जिसमें एक ईसाई परिवार को पुलिस ने धर्म परिवर्तन के नाम पर  गिरफ्तार किया। पुलिस द्धारा दर्ज एफ.आई.आर को देखने से स्पष्ट होता है कि बिना किसी जांच-परख के पुलिस ने किसी दबाव में आकर आनन-फानन में ईसाई दंपत्ति को गिरफ्तार किया है। उनपर आईपीसी धारा 298, 504, 505, 120बी के तहत रुपसपुर थाना में एफआईआर लॉज किया गया है।  पुलिस के पास न तो गिरफ्तारी का वारंट था ना ही उच्चतम न्यायलय के दिये गए निर्देर्शो का पालन किया गया। उच्चतम न्यायालय के एक महत्वपूर्ण फैसले और सीआरपीसी में किए गये संशोधन के अनुसार अगर किसी केस के धारा के अंर्तरगत सात साल से कम की सजा का प्रावधान है तो पुलिस स्वयं गिरफ्तार नहीं कर सकती। गिरफ्तारी के लिए मजिस्ट्रेट से अनुमति सहित उसकी कुछ ‘शर्ते हैं। क्या उन ‘शर्तो का पालन किया गया?

इस पूरे मामले की जांच के लिए हमारी टीम के सदस्य रुपसपुर गएऔर वहां रहने वाले लोगों से मुलाकात की। टीम के लोग ईसाई परिवार से भी मिले जिनपर जबरन धर्म परिर्वतन कराने का आरोप है। रुपसपुर घनी आबादी वाला मुहल्ला है। जहां हिन्दुओं की मिली-जुली आबादी रहती है। आबादी का एक बड़ा हिस्सा दलितों का है। हिन्दू बहुल इस इलाके में मात्र एक परिवार ईसाई है। जो पिछले सात सालों से यहां रह रहा है।  सुभाष कुमार परियार ईसाई हैं। उनके पूर्वज नेपाल में रहते थे। बाद में वे बिहार आकर बस गए। सुभाष कुमार बीएमपी में सब इंस्पेक्टर की नौकरी करते हैं। उनकी पत्नी दुर्गा परियार प्रेरणा फाउन्डेशन के नाम से एक ट्रस्ट चलाती हैं। जिसके तहत महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई की ट्रेनिंग दी जाती है।

पिछले 29 अप्रैल को करीब 10 बजकर 30 मिनट केआस-पास सुभाष कुमार परियार, उनकी पत्नी दुर्गा परियार और उनकी बहन रजनी प्रधान अपने घर में प्रार्थना कर रही थी । प्रार्थना में कई दूसरे लोग भी ‘शामिल थे उसी समय विश्व हिन्दू परिषद और आर.एस.एस से जुड़े हुए लोग उनके घर में धुस आये और हंगामा करने लगे। उन्होंने यह कहते हुए मार-पीट ‘शुरूकर दी कि ये लोग जबरन धर्म परिवर्तन करा रहे हैं।

जब प्राथना में मौजूद लोगों ने विरोध किया तो वे वापस गएऔर कुछ ही देर बाद अपने साथ पुलिस को लेकर आये। पुलिस ने बिना किसी वांरट के सुभाष कुमार परियार, दुर्गा परियार और उनकी बहन रजनी को गिरफ्तार कर लिया। दोनों महिलाओं की गिरफ्तारी के समय कोई महिला पुलिस साथ में नहीं थी।  रजनी प्रधान की गोद में पांच साल का बच्चा था जिसे बेरहमी मां से अलग कर दिया गया। विरोध करने पर रजनी की पुलिस द्धारा पीटाई की गयी। सुभाष कुमार बी.एम.पी में सब इन्सपेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। जिनकी गिरफ्तारी के बाद उन्हें उनके पद से बर्खास्त कर दिया गया। 

जांच टीम ने रुपसपुर का दौरा कियाऔर सुभाष परियार के परिवार से मुलाकात की। सुभाष परियार की 16 साल की बेटी इस घटना से काफी डरी हुई है। उसने बताया कि 26 अप्रैल को यह घटना घटी उस समय वह भी प्राथना में ‘शामिल थी। उसी समय कुछ नौजवान आये और मेरे माता-पिता को गंदी-गंदी गालिया देने लगे। विरोध करने पर उनकी पीटाई करने लगे। उसने बताया कि इस घटना के पीछे पारवारिक विवाद भी है जिसका फायदा आर.एस.एस ने उठाया है। उसके फूफा भीम सिहं ने आरएसएस से जुड़े नागेश राणा से उसके पिता के खिलाफ शिकायत की थी। उसके बाद ही धर्म परिर्वतन का आरोप लगाते हुए पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया। उसके फूफा उनकी बुआ के साथ अक्सर मार-पीट करते हैं जिसका विरोध उसके मां, पिता करते हैं। 

उसी मुहल्ले के मिही लाल ने कहा कि उन्होंने पुलिसवालों से ही सुना कि ये लोग 10 हजार रुपये लेकर धर्म परिवर्तन कराते हैं। मिही लाल ने स्वीकार किया कि धर्म परिवर्तन की कोई घटना नहीं घटी है। आजतक इस मुहल्ले के किसी व्यक्ति नें ईसाई परिवार पर ये आरोप नहीं लगाया है।

मुन्ना देवी भी उसी मुहल्ले में रहती हैं।उन्होंने कहा कि कभी किसी के साथ किसी तरह की जबरदस्ती नहीं हुई है। वे लोग काफी अच्छे और ‘शांतिप्रिय लोग हैं। छोटे लाल और जितेन्द्र कुमार रुपसपुर के निवासी हैं। ने कहा कि कभी भी इस मुहल्ले में धर्म परिवर्तन को लेकर कोई बात-चीत नहीं हुई । वे लोग हमेशा मददगार रहते हैं। और काफी धार्मिक लोग हैं। उनका ट्रस्ट महिलाओं को रोजगार से जोड़ने का काम करता है।

जांच टीम के सदस्यों ने श्री आलोक राज ए.डी.जी (लॉ एण्ड आर्डर) से मुलाकात की और इस मामले से अवगत कराया। उन्होंने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल आई.जी से बात की। आई .जी ने इस मामले की जांच तुरत डी.आई.जी से कराने का आदेश दिया है। हालांकि कल निचली अदालत से ईसाई परिवार की जमानत याचिका खारिज कर दी गयी है और खबर है कि पुलिस गवाह प्लांट कर रही है.




जांच टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि:
-रुपसपुर में रहने वाले ईसाई परिवार के खिलाफ एक साजिश के तहत यह कार्रवाई हुई है।
-इसके पीछे राजनीतिक पार्टियों का हाथ है
-आएएसएस और विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकाओं का नाम आ रहा है
-धर्म के नाम पर उन्माद पैदा करने की कोशिश की जा रही है
-पुलिस द्धारा किए गये एफआईआर में भी यह कहीं दर्ज नहीं है की किन लोगों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया।
-पुलिस द्धारा घटना की बगेर छान-बीन किए गिरफ्तारी से लगता है कि पुलिस के उपर कोई उपरी दबाव काम कर रहा है
-गिरफ्तारी का वारेंट भी पुलिस के पास नहीं था
-गिरफ्तारी के समय कोई महिला पुलिस अधिकारी भी मौजूद नहीं थी।
-जांच टीम यह मांग करती है कि इस मामले में पुलिस की भूमिका की जांच की जाय।
-बिना किसी सबूत के गिरफ्तारी के विरुद्ध पुलिस पर आपराधिक मुकदमा दर्ज हो।
-धर्म के नाम पर उन्माद पैदा करने और साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाडने के लिए जिन लोगों ने यह साजिश रची उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो
-आरएसएस और विश्व हिन्द परिषद द्धारा रची गयी इस साजिश की जांच की जाय।
-ईसाई दम्पति  को बिना किसी ‘शर्त के रिहा किया जाय।
-सुभाष कुमार को उनकी नौकरी में फिर से बहाल किया जाय।

तस्वीरें गूगल से साभार 

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