Quantcast
Channel: स्त्री काल
Viewing all articles
Browse latest Browse all 1054

बीजेपी, आरएसएस में भगदड़, उबरने के लिए वे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करेंगे: अरुंधती रॉय

$
0
0
स्त्रीकाल डेस्क 

लेखक और एक्टिविस्ट अरुंधति रॉय ने कहा है किदेश की पूरी बुनियाद को ही तोड़ा जा रहा है और सत्ता के साथ एक समानांतर राज्य काम करना शुरू कर दिया है। जिसका मकसद? "संविधान को बदलने की वैचारिक तैयारी"है।” अरुंधति ने ये बातें आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में कही। इस साक्षात्कार में उन्होंने मौजूदा शासन को लेकर अपनी अनेक चिंतायें ज़ाहिर कीं।



उन्होंने देश के भविष्य को लेकर सुनायी पड़ने वाली बुरी आहट को लेकर कहा,"एक ऐसी आहट है जो मुझे लगता है कि बहुत से लोग सुन नहीं पा रहे हैं और कुछ बहुत गंभीर रूप से चुप कराया जा रहा है और वह यह है कि हम ऐसे हालात में जी रहे हैं, जिसमें आपका संपूर्ण ध्यान तात्कालिक आपराधिक घटनाओं पर होगा- किसका गला काटा जा रहा है, किसको मारा जा रहा है और अन्य इसी तरह की घटनाओं पर - आपको नहीं पता है कि उन सभी चीजों के पीछे, भय और आतंक की एक बड़ी मात्रा है और बहुत से समुदायों को इनमें धकेल दिया जा रहा है। मुझे नहीं लगता कि शहरी भारत के लोग कृषि संकट और उसकी हद तक को जानते हैं"।

अरुंधति ने स्थापित की जा रही समानांतर सत्ताको लेकर आशंका जताते हुए कहा कि "जब मैं स्थायी राज्य की बात करती हूं तो मैं उन शक्तियों का जिक्र कर रही होती हूं जो चुनावों से नहीं बदलती हैं। वह वैसी ही रहती हैं। इसलिए अगर वे चुनाव हारती भी हैं, तो वे जीवन के स्तरों में प्रवेश कर जाती हैं। आरएसएस, ज़ाहिर है कि, एक अलग मामला है। यह स्थायी राज्य नहीं है, यह समानांतर राज्य है"।

बातचीत में आगे उन्होंने कहा "मुझे नहीं लगता कि देश कभी भी इस तरह की स्थिति में रहा है,"उन्होंने विस्तार से इसकी व्याख्या करते हुए कहा कि यह अब वैसी ही बात क्यों नहीं है जहां कोई कहता है ​​कि कांग्रेस पार्टी ने भी तो ऐसा ही किया था जब वह सत्ता में थी। "वो सब (पिछली सरकारों की ग़लतिया) सही है, लेकिन अभी तो, संविधान को ही बदलने की एक वैचारिक तैयारी है।"

उन्होंने कहा कि "यह सिर्फ इस बारे में नहीं है कि सरकार में कौन है बल्कि स्थायी राज्य के बारे में है – जो अपरिवर्तनीय हैं: न्यायपालिका, नौकरशाही, विश्वविद्यालय, इंटेलिजेंस ब्यूरो और इसी तरह की अन्य शक्तियां - बहुसंख्यक लोगों के लोगों द्वारा यह सब भरी जा रही हैं (अगर बहुसंख्यक समुदाय के रूप में एक चीज है तो वरना, मुझे लगता है कि हम अल्पसंख्यकों के देश हैं)। वे क्या नहीं समझ पा रहे हैं कि यह हमें उसी जगह में वापस ले जाने की कोशिश है जहां हम जाने की कभी उम्मीद ही नहीं कर रहे थे। सभी को एक बिल में धकेल दिया जा रहा है।"

उन्होंने सरकार की लोकतांत्रिक आईक्यूपर सवाल उठाते हुए कहा,"आईक्यू या बौद्धिक स्तर में इस सरकार में बहुत कमी आई है"और जब न्यायाधीश लोया या सोहराबुद्दीन मामलों के बारे में पढ़ते हैं तो "लोगों पर बहुत निराशाजनक प्रभाव"होता है।”

साक्षात्कार में वो आगे कहती हैं,"आप देखिये कि सुप्रीमकोर्ट में क्या हो रहा है और तुरन्त आप मीडिया में डर महसूस करते हैं। क्या होता है कि नौकरशाह भी डरने लगते हैं, मंत्रियों को डर लगता है। आप सभी की पहल करने की क्षमता को दूर कर रहे हैं, हर निर्णय दो लोगों द्वारा नहीं लिया जा सकता, लेकिन अन्य लोग फैसले लेने से डर रहे हैं, वे कुछ भी कहने से डर रहे हैं। तो जो कुछ तुम देख रहे हो वह किसी चीज को चीरना फाड़ना नहीं है, वास्तव में हर गाँठ खुल रही है, इसलिए आप केवल अंत में मुट्ठी भर धागा पाएंगे। ये सचमुच बेहद डरावना है।”

अरुंधति देश को आने वाले दिनों में एक अनचाहे हालात से दो-चार होने की आशंका पर कहती हैं, “मैं सच में इस बात से डरी हुई हूं कि इस समय बदलाव की एक भावना काम कर रही है और इसके चलते बीजेपी और आरएसएस में एक तरह की भगदड़ है। इसलिए एक बार फिर से ध्रुवीकरण के लिए वो कुछ भी करेंगे। हम सुप्रीम कोर्ट से अयोध्या के फैसले की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जो भी फैसला होता है,उसका इस्तेमाल लोगों के बीच फूट पैदा करने में किया जा सकता है। यह मायने नहीं रखता कि कोर्ट क्या कहता है। फैसले को लोगों को आपस में बांटने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। और चुनाव के लिहाज से फैसले का समय बेहद महत्वपूर्ण है। इसलिए भी मैं बहुत डरी हुई हूं।” उन्होंने ये भी कहा कि चुनाव के मूड के लिहाज़ से अगर सही बैठता है,तो यहां “एक सीमित युद्ध भी हो सकता है।”



रॉय ने कहा कि “वो इस साल सांप्रदायिक ध्रुवीकरणके शोर को और बढ़ाने जा रहे हैं। मुझे नहीं पता कि वो कामयाब होंगे या नहीं,लेकिन उसका बिगुल पहले ही बज चुका है।”

पीएम मोदी के नोटबंदी के महत्वाकांक्षी फैसले पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, “ये बेहद तानाशाही भरा और अलोकतांत्रिक फैसला था। जैसा कि हम जानते हैं करेंसी एक स्टेट और उसकी जनता के बीच सामाजिक करार होती है।”

उन्होंने पीएनबी संकट को एक व्यापक आर्थिक संकट बताया, “पहले तो आप लोगों को अपने पैसे बैंक में रखने के लिए मजबूर करते हैं और उसके बाद ये लोग हजारों करोड़ लेकर भाग जा रहे हैं। मुझे यकीन है कि नीरव मोदी ने सिर्फ गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां प्राप्त की हैं। वह सारा धन उन पूजीपतियों को दे दिया गया जो इसे वापस नहीं करते हैं, ऐसा लगता है, कि इसे वापस भुगतान करने की उन्हें ज़रूरत भी नहीं है। इसलिए मुझे नहीं लगता कि हम उस समय को पूरी तरह से समझ रहे हैं जिसमें हम रह रहे हैं। यहां तक ​​कि सतह पर आप दरारें देख रहे हैं लेकिन उस सतह के नीचे, चीजें बहुत ज्यादा नष्ट होने की कगार पर हैं।"

राय के मुताबिक सत्तारूढ़ पार्टी की कार्रवाइयों को केवल वही प्रसन्नता भरी नज़रों से देख सकता है,जो देश का भला नहीं चाहता है। उन्होंने कहा कि "क्योंकि वे इसे कमजोर होते और बिखरते देख रहे हैं, वह भी शीर्ष पर नहीं बल्कि पूरी बुनियाद ही खत्म कर दी जा रही है। लोकतंत्र की संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है।"

अपने ऊपर लगाए जाने वाले राष्ट्रद्रोह के आरोप को लेकर उनका जवाब था,“जो कोई अन्याय की आलोचना करता है, जो नीति के साथ तर्क करता है, या जो सबसे गरीब लोगों या सबसे निराश्रित लोगों को कुचलने के तरीकों का विरोध करता है अगर वह एक राष्ट्र विरोधी है तो यह आपको बताता है कि उनके राष्ट्रवाद पर उनके विचार क्या हैं।”

उन्होंने खेद व्यक्त किया कि "हम जो कुछ यहां तलाशते हैं (मौजूदा समय में) वह है साथी होने की भावना, आप राजनीतिज्ञों और नौकरशाहों को वास्तविक चिंता या प्रेम के साथ बोलते नहीं पाते हैं। हर कोई सिर्फ अपने सिर में किसी विचार के साथ लोगों के सिर पर हथौड़ा मारना चाहता है। मुझे उनकी बातचीत में किसी के प्रति भी दया और प्यार नहीं दिखता है- यहां तक ​​कि अस्पतालों में मरने वाले बच्चों के लिए भी नहीं।"

www.janchowk.com से साभार


तस्वीरें गूगल से साभार 

स्त्रीकाल का प्रिंट और ऑनलाइन प्रकाशन एक नॉन प्रॉफिट प्रक्रम है. यह 'द मार्जिनलाइज्ड'नामक सामाजिक संस्था (सोशायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के तहत रजिस्टर्ड) द्वारा संचालित है. 'द मार्जिनलाइज्ड'मूलतः समाज के हाशिये के लिए समर्पित शोध और ट्रेनिंग का कार्य करती है.
आपका आर्थिक सहयोग स्त्रीकाल (प्रिंट, ऑनलाइन और यू ट्यूब) के सुचारू रूप से संचालन में मददगार होगा.
लिंक  पर  जाकर सहयोग करें    :  डोनेशन/ सदस्यता 

'द मार्जिनलाइज्ड'के प्रकशन विभाग  द्वारा  प्रकाशित  किताबें  ऑनलाइन  खरीदें :  फ्लिपकार्ट पर भी सारी किताबें  उपलब्ध हैं. ई बुक : दलित स्त्रीवाद 


संपर्क: राजीव सुमन: 9650164016,themarginalisedpublication@gmail.com

Viewing all articles
Browse latest Browse all 1054

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>