दिल्ली सरकार की साहित्य कला परिषद के प्रमुख अधिकारी और नाटककार जे.पी. सिंह (जयवर्धन) के ऊपर उनकी पत्नी और दिल्ली की रंग-निर्देशक चित्रा सिंह ने मारपीट का आरोप लगाया है. उन्होंने फेसबुक के अपने वॉल पर दो स्टेटस लिखे, जिसमें उन्होंने अपने पति जे.पी. सिंह पर 'दरिन्दग़ी'का आरोप लगाया तथा यह भी सूचित किया कि उनके घर पुलिस भी आयी थी। रंगकर्मी मंजरी श्रीवास्तव के अनुसार चित्रा ने उन्हें पहले भी जेपी द्वारा मारपीट की बात बतलायी थी. लेकिन तब उनके परिचितों ने आपस में सुलह का मशविरा दिया था. लेकिन ८ जुलाई को फिर से मारपीट करने के बाद चित्रा सिंह ने सोशल मीडिया में स्टेट्स लिखे और पुलिस को सूचना दी. उन्होंने जख्मों के साथ अपनी तस्वीर भी जारी की है.
चित्रा सिंह की जेपी सिंह से दोस्तीभारतेंदु नाट्य अकादमी में हुई थी, प्रशिक्षण के दिनों में. बाद में उन्होंने शादी कर ली थी. स्त्रीकाल द्वारा सम्पर्क करने पर उन्होंने बताया कि वे इंदिरापुरम थाने में बैठी हैं और रिपोर्ट दर्ज करवा रही हैं. जबकि जे पी सिंह ने फोन और मेसेज का जवाब नहीं दिया. चित्रा थिएटर का एक समूह 'रंगभूमि'की संचालिका भी हैं.
आलोचक तथा समकालीनरंगमंच के संपादक राजेश चन्द्र के अनुसार, 'यह मसला अत्यधिक संवेदनशील और तत्काल ध्यान दिये जाने की मांग करने वाला लगता है। जे.पी. सिंह साहित्य कला परिषद में अपने राजनीतिक संबंधों के चलते लंबे समय से जमे हुए हैं।'राजेश यह भी आरोप करते हैं कि दिल्ली के सांस्कृतिक महकमें में उनसे अधिक भ्रष्ट कोई अधिकारी मिलना मुश्किल है। अपने फेसबुक पेज पर उन्होंने लिखा 'दिल्ली का कोई भी रंगकर्मी जे.पी. सिंह के ख़िलाफ़ कुछ भी बोलने का साहस नहीं कर पाता, जो बोलता है, उसके लिये रंगमंच में रह पाना संभव नहीं। नयी सरकार बनने पर यह चर्चा आम थी कि जे.पी. सिंह के विरुद्ध विभागीय जांच में उन्हें करोड़ों की वित्तीय अनियमितताओं का दोषी पाया गया, पर दिल्ली के एक बहुत शक्तिशाली निर्देशक के कहने पर उनको अभयदान दे दिया गया। अब जब उनकी पत्नी ने भी जे.पी. सिंह की असलियत ज़ाहिर कर दी है, तो ऐसे ख़तरनाक व्यक्ति को परिषद के महत्वपूर्ण पद पर रहना चाहिये या नहीं, इसका फ़ैसला दिल्ली सरकार को करना ही होगा।'
![]() |
चित्रा सिंह की जख्मी तस्वीर, उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर शेयर की थी |
चित्रा सिंह की जेपी सिंह से दोस्तीभारतेंदु नाट्य अकादमी में हुई थी, प्रशिक्षण के दिनों में. बाद में उन्होंने शादी कर ली थी. स्त्रीकाल द्वारा सम्पर्क करने पर उन्होंने बताया कि वे इंदिरापुरम थाने में बैठी हैं और रिपोर्ट दर्ज करवा रही हैं. जबकि जे पी सिंह ने फोन और मेसेज का जवाब नहीं दिया. चित्रा थिएटर का एक समूह 'रंगभूमि'की संचालिका भी हैं.
आलोचक तथा समकालीनरंगमंच के संपादक राजेश चन्द्र के अनुसार, 'यह मसला अत्यधिक संवेदनशील और तत्काल ध्यान दिये जाने की मांग करने वाला लगता है। जे.पी. सिंह साहित्य कला परिषद में अपने राजनीतिक संबंधों के चलते लंबे समय से जमे हुए हैं।'राजेश यह भी आरोप करते हैं कि दिल्ली के सांस्कृतिक महकमें में उनसे अधिक भ्रष्ट कोई अधिकारी मिलना मुश्किल है। अपने फेसबुक पेज पर उन्होंने लिखा 'दिल्ली का कोई भी रंगकर्मी जे.पी. सिंह के ख़िलाफ़ कुछ भी बोलने का साहस नहीं कर पाता, जो बोलता है, उसके लिये रंगमंच में रह पाना संभव नहीं। नयी सरकार बनने पर यह चर्चा आम थी कि जे.पी. सिंह के विरुद्ध विभागीय जांच में उन्हें करोड़ों की वित्तीय अनियमितताओं का दोषी पाया गया, पर दिल्ली के एक बहुत शक्तिशाली निर्देशक के कहने पर उनको अभयदान दे दिया गया। अब जब उनकी पत्नी ने भी जे.पी. सिंह की असलियत ज़ाहिर कर दी है, तो ऐसे ख़तरनाक व्यक्ति को परिषद के महत्वपूर्ण पद पर रहना चाहिये या नहीं, इसका फ़ैसला दिल्ली सरकार को करना ही होगा।'