जनपथ से राजपथ तक
मीरा कुमार जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार हैं. उनके लोकसभा अध्यक्ष रहते हुए स्त्रीकाल का 'स्त्री सत्ता: यथार्थ या विभ्रम'अंक आया था. जब वे लोकसभा अध्यक्ष थीं तब देश की सबसे ताकतवर नेता और यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी होती थीं. राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल थीं, देश के सबसे बड़े राज्य की मुख्यमंत्री मायावती थीं और तीन अन्य राज्यों में भी महिलायें मुख्यमंत्री और नेता विपक्ष थीं. इस अंक में मीरा कुमार पर की गई टिपण्णी ताकि सनद रहे:
मीरा कुमार: प्रथम महिला लोकसभा अध्यक्ष
राइफल शूटिंग में माहिर भारतीय विदेश सेवा से राजनीति में सफल मीरा कुमार यूपीए सरकार के वर्तमान सत्र में प्रथम महिला लोकसभा अध्यक्ष बनीं. दलित नेता 'बाबू जगजीवन राम (बाबूजी) की यह होनहार बेटी विदेशी दूतावासों में सेवा देती हुई जब 1985 में “बिजनौर” लोकसभा में राजनीति में उतरी तो दो हैबिवेट दलित नेताओं को हराया, ‘रामविलास पासवान’ और ‘मायावती’ को. यह बात अलग है कि विरोधी इस जीत में पूर्व उपप्रधानमंत्री ‘बाबूजी’ कि विरासत को खंगालें या फिर इंदिरा जी के अवसान के बाद सहानुभूति लहर को.
मीरा कुमार कांग्रेस की प्रखर नेता और मज़बूरी भी बनती गयीं. पिछले दो दशकों में दलित राजनीति के उभार ने भी कांग्रेस में उन्हें सम्मान दिलवाया और महत्वपूर्ण जिम्मेवारी भी. 1985 से अब तक 1999 में करोलबाग से एक हार को छोड़ कर मीरा कुमार ने अपनी राजनीतिक प्रतिभा सिद्ध की है. 2004 के लोकसभा चुनावों से वे अभूतपूर्व मतों के साथ अपने पिता के निर्वाचन क्षेत्र सासाराम (बिहार) का प्रतिनिधित्व कर रही है.
मृदुभाषी मीरा कुमार लोकसभा में अपने साथियों को आदर अनुरोध और कई बार उद्धत साथियों को स्नेह, हल्की फटकार के साथ सदन संचालित करती है. लोकसभा ने अपनी महिला अध्यक्ष के साथ महिला सांसदों के लिए आजादी के बाद पहली बार अलग प्रसाधन गृह कि व्यवस्था की. राजनीतिज्ञ पिता बाबू जगजीवन राम और स्वतंत्रता सेनानी माता इंद्राणी देवी की यह उत्तराधिकारी बेदाग राजनीति की मिसाल भी हैं|
मीरा कुमार जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार हैं. उनके लोकसभा अध्यक्ष रहते हुए स्त्रीकाल का 'स्त्री सत्ता: यथार्थ या विभ्रम'अंक आया था. जब वे लोकसभा अध्यक्ष थीं तब देश की सबसे ताकतवर नेता और यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी होती थीं. राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल थीं, देश के सबसे बड़े राज्य की मुख्यमंत्री मायावती थीं और तीन अन्य राज्यों में भी महिलायें मुख्यमंत्री और नेता विपक्ष थीं. इस अंक में मीरा कुमार पर की गई टिपण्णी ताकि सनद रहे:
मीरा कुमार: प्रथम महिला लोकसभा अध्यक्ष
राइफल शूटिंग में माहिर भारतीय विदेश सेवा से राजनीति में सफल मीरा कुमार यूपीए सरकार के वर्तमान सत्र में प्रथम महिला लोकसभा अध्यक्ष बनीं. दलित नेता 'बाबू जगजीवन राम (बाबूजी) की यह होनहार बेटी विदेशी दूतावासों में सेवा देती हुई जब 1985 में “बिजनौर” लोकसभा में राजनीति में उतरी तो दो हैबिवेट दलित नेताओं को हराया, ‘रामविलास पासवान’ और ‘मायावती’ को. यह बात अलग है कि विरोधी इस जीत में पूर्व उपप्रधानमंत्री ‘बाबूजी’ कि विरासत को खंगालें या फिर इंदिरा जी के अवसान के बाद सहानुभूति लहर को.
मीरा कुमार कांग्रेस की प्रखर नेता और मज़बूरी भी बनती गयीं. पिछले दो दशकों में दलित राजनीति के उभार ने भी कांग्रेस में उन्हें सम्मान दिलवाया और महत्वपूर्ण जिम्मेवारी भी. 1985 से अब तक 1999 में करोलबाग से एक हार को छोड़ कर मीरा कुमार ने अपनी राजनीतिक प्रतिभा सिद्ध की है. 2004 के लोकसभा चुनावों से वे अभूतपूर्व मतों के साथ अपने पिता के निर्वाचन क्षेत्र सासाराम (बिहार) का प्रतिनिधित्व कर रही है.
मृदुभाषी मीरा कुमार लोकसभा में अपने साथियों को आदर अनुरोध और कई बार उद्धत साथियों को स्नेह, हल्की फटकार के साथ सदन संचालित करती है. लोकसभा ने अपनी महिला अध्यक्ष के साथ महिला सांसदों के लिए आजादी के बाद पहली बार अलग प्रसाधन गृह कि व्यवस्था की. राजनीतिज्ञ पिता बाबू जगजीवन राम और स्वतंत्रता सेनानी माता इंद्राणी देवी की यह उत्तराधिकारी बेदाग राजनीति की मिसाल भी हैं|