स्त्रीकाल डेस्क
एक ओर जहाँ भारत में मातृ मृत्यू दर बहुत ज्यादा है वहीं भारत की सरकार के आयुष मंत्रालय ने अपनी एक रिपोर्ट में स्वस्थ जच्चा और सेहतमंद बच्चे के लिए सलाह दी है कि गर्भवती महिलायें मांसाहार न करें. सेक्स न करें . महाभारत के अभिमन्यू के मिथक से संचालित यह सुझाव कई मामले में अवैज्ञानिक है, खासकर तब, जब भारत की बहुसंख्य आबादी मांसाहारी है और बहुत बड़ी संख्या के लिए जरूरी पोषण आहार मांसाहार पर निर्भर है. सेक्स करने के लेकर भी डाक्टरों की राय आयुष मंत्रालय से ज्यादा वैज्ञानिक है.
मातृ मृत्यू का नियन्त्रण महिला स्वास्थय का जरूरी पहलू
आयुष मंत्रालय ने मदर एंड चाइल्ड केयर नामक बुकलेट जारी करते हुए अपने सुझाव में कहा कि गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान इच्छा, क्रोध, लगाव, नफरत और वासना से खुद को अलग रखना चाहिए. साथ ही बुरी सोहबत से भी दूर रहना चाहिए. हमेशा अच्छे लोगों के साथ और शांतिप्रिय माहौल में रहें. आयुष मंत्रालय दो कदम आगे बढ़कर कहता है कि यदि आप सुंदर और सेहतमंद बच्चा चाहती हैं तो महिलाओं को "इच्छा और नफरत"से दूर रहना चाहिए, आध्यात्मिक विचारों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. अपने आसपास धार्मिक तथा सुंदर चित्रों को सजाना चाहिए. केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने पिछले सप्ताह इस बुकलेट को नई दिल्ली में हुई राष्ट्रीय स्वास्थ्य संपादकों के एक सम्मेलन में जारी किया था.
सामूहिक नसबंदी के कारण भारतीय स्त्रियों की मौत
जबकि स्त्रीकाल की संस्थापक संपादकों में से एकऔर कस्तूरबा गांधी मेडिकल कॉलेज, सेवाग्राम फेसर डा. अनुपमा गुप्ता कहती हैं गर्भावस्था के दौरान भारत में 50 % से अधिक महिलायें खून की कमी से जूझती हैं, जिनके लिए मांसाहारी भोजन में प्रोटीन, आयरन और कार्बोहाइड्रेट की पूर्ती होती है. खुद शाकाहारी गुप्ता इस तथ्य का जिक्र करती हैं कि भारत की एक बड़ी आबादी मांसाहार से ही पोषण तत्व लेता है. उन्होंने कहा कि सेक्स करना या न करना आध्यात्मिकता से ज्यादा स्वास्थ्य की स्थिति का मामला है. मसलन पहले तीन महीने में सेक्स करना कई तरह की समस्यायें पैदा कर सकता है, लेकिन यदि प्रिगनेंसी नॉर्मल है तो उसके बाद के तीन महीनों में केयर के साथ सेक्स करना अच्छा होता है, कई बार मानसिक स्वास्थ्य लिए जरूरी भी. इस दौरान कुछ महिलाओं में तनाव की स्थिति होती है तो सेक्स रिलैक्स करता है. हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया किया कि इंटरनेट पर प्रिगनेंसी के दौरान सेक्स के फायदे गिनाने वाले रिसर्च जरूरी नहीं है कि मेडिकल साइंटिस्ट ने किये हों.
चाइल्ड केयर लीव बनाम मातृत्व की ठेकेदारी पर ठप्पा
डा. अनुपमा कहती हैं कि क्रोध, नफरत आदि मनोभावों से बचना गर्भवती स्त्री के लिए जरूर फायदेमंद है, जिसका अनुपालन किया जा सकता है, लेकिन उसका कारण भी वैज्ञानिक है आध्यात्मिक नहीं.
एक ओर जहाँ भारत में मातृ मृत्यू दर बहुत ज्यादा है वहीं भारत की सरकार के आयुष मंत्रालय ने अपनी एक रिपोर्ट में स्वस्थ जच्चा और सेहतमंद बच्चे के लिए सलाह दी है कि गर्भवती महिलायें मांसाहार न करें. सेक्स न करें . महाभारत के अभिमन्यू के मिथक से संचालित यह सुझाव कई मामले में अवैज्ञानिक है, खासकर तब, जब भारत की बहुसंख्य आबादी मांसाहारी है और बहुत बड़ी संख्या के लिए जरूरी पोषण आहार मांसाहार पर निर्भर है. सेक्स करने के लेकर भी डाक्टरों की राय आयुष मंत्रालय से ज्यादा वैज्ञानिक है.
मातृ मृत्यू का नियन्त्रण महिला स्वास्थय का जरूरी पहलू
आयुष मंत्रालय ने मदर एंड चाइल्ड केयर नामक बुकलेट जारी करते हुए अपने सुझाव में कहा कि गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान इच्छा, क्रोध, लगाव, नफरत और वासना से खुद को अलग रखना चाहिए. साथ ही बुरी सोहबत से भी दूर रहना चाहिए. हमेशा अच्छे लोगों के साथ और शांतिप्रिय माहौल में रहें. आयुष मंत्रालय दो कदम आगे बढ़कर कहता है कि यदि आप सुंदर और सेहतमंद बच्चा चाहती हैं तो महिलाओं को "इच्छा और नफरत"से दूर रहना चाहिए, आध्यात्मिक विचारों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. अपने आसपास धार्मिक तथा सुंदर चित्रों को सजाना चाहिए. केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने पिछले सप्ताह इस बुकलेट को नई दिल्ली में हुई राष्ट्रीय स्वास्थ्य संपादकों के एक सम्मेलन में जारी किया था.
सामूहिक नसबंदी के कारण भारतीय स्त्रियों की मौत
जबकि स्त्रीकाल की संस्थापक संपादकों में से एकऔर कस्तूरबा गांधी मेडिकल कॉलेज, सेवाग्राम फेसर डा. अनुपमा गुप्ता कहती हैं गर्भावस्था के दौरान भारत में 50 % से अधिक महिलायें खून की कमी से जूझती हैं, जिनके लिए मांसाहारी भोजन में प्रोटीन, आयरन और कार्बोहाइड्रेट की पूर्ती होती है. खुद शाकाहारी गुप्ता इस तथ्य का जिक्र करती हैं कि भारत की एक बड़ी आबादी मांसाहार से ही पोषण तत्व लेता है. उन्होंने कहा कि सेक्स करना या न करना आध्यात्मिकता से ज्यादा स्वास्थ्य की स्थिति का मामला है. मसलन पहले तीन महीने में सेक्स करना कई तरह की समस्यायें पैदा कर सकता है, लेकिन यदि प्रिगनेंसी नॉर्मल है तो उसके बाद के तीन महीनों में केयर के साथ सेक्स करना अच्छा होता है, कई बार मानसिक स्वास्थ्य लिए जरूरी भी. इस दौरान कुछ महिलाओं में तनाव की स्थिति होती है तो सेक्स रिलैक्स करता है. हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया किया कि इंटरनेट पर प्रिगनेंसी के दौरान सेक्स के फायदे गिनाने वाले रिसर्च जरूरी नहीं है कि मेडिकल साइंटिस्ट ने किये हों.
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गर्भवती महिला का डायट |
चाइल्ड केयर लीव बनाम मातृत्व की ठेकेदारी पर ठप्पा
डा. अनुपमा कहती हैं कि क्रोध, नफरत आदि मनोभावों से बचना गर्भवती स्त्री के लिए जरूर फायदेमंद है, जिसका अनुपालन किया जा सकता है, लेकिन उसका कारण भी वैज्ञानिक है आध्यात्मिक नहीं.