अनारकली आॅफ आरा देश भर में 24 मार्चको रीलीज़ हो रही है. नील बटे सन्नाटा के बाद स्वरा भास्कर की यह महत्वाकांक्षी सोलो फिल्म है. प्रोमोडोम कम्युनिकेशन्स के बैनर तले बनी इस फिल्म में उसने एक सड़कछाप गायिका का किरदार निभाया है. फिल्म का निर्देशन किया है अविनाश दास ने. अनारकली की कहानी भी उन्होंने ही लिखी है. इससे पहले अविनाश दास प्रिंट और टीवी के पत्रकार रहे हैं. उन्होंने आमिर ख़ान की सत्यमेव जयते के लिए भी रिपोर्टिंग की है. अनारकली में स्वरा भास्कर के अलावा संजय मिश्रा, पंकज त्रिपाठी और इश्तियाक़ ख़ान महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं. फिल्म का अनोखा संगीत रचा है रोहित शर्मा ने, जिन्होंने शिप आॅफ थिसियस में भी संगीत दिया था.
अनारकली आॅफ आरा एक सोशलम्यूजिकल ड्रामा है. अनारकली बिहार की राजधानी पटना से चालीस किलोमीटर दूर आरा शहर की एक देसी गायिका है, जो मेलो-ठेलों, शादी-ब्याह और स्थानीय आयोजनों में गाती है. यह फिल्म एक ऐसी घटना से जुड़ी है, जिसके बाद अनारकली का जीवन एक उजाड़, डर और विस्थापन के कोलाज में बदल जाता है.
अनारकली के गीत लोगों के मन के दबे हुए तार छेड़ते हैं. उसे सुनने वाले उस पर फिदा हो जाना चाहते हैं और अनारकली अपने प्रति लोगों की दीवानगी को अपनी संगीत यात्रा में भड़काती चलती है. उसके प्रेम का अपना अतीत है और सेक्स पर समझदारी के मामले में रूढ़ीवादी भी नहीं है. इतनी खुली शख्सीयत के बावजूद उसके पास एक आत्मसम्मान है, जिसका एहसास वह कई मौकों पर सामने वाले को कराती भी रहती है. वह एक तेवर रखती है, जिसमें जमाने की परवाह नहीं है, लेकिन रिश्तों के मामले में संवेदनशील भी है. फिल्म में उसके इर्दगिर्द पांच लोग हैं - जो उसके प्रेम के एक ही धागे में बंधे हैं. सब अपनी अपनी तरह से अनारकली को प्रेम करते हैं. लेकिन आखिर में अनारकली को अकेले ही अपने रास्ते पर जाना है और वही होता है. पूरी कहानी में कठिन से कठिन मौकों पर उसकी आंखें आंसू नहीं बहाती और बाहर की उदासी को वह अपनी हिम्मत से खत्म करने की कोशिश करती है. अनारकली एक ऐसा किरदार है, जो हिंदी सिनेमा में अब तक नहीं आया है.