Quantcast
Channel: स्त्री काल
Viewing all articles
Browse latest Browse all 1054

प्रत्यूष चन्द्र मिश्रा की कवितायें

$
0
0
प्रत्यूष चन्द्र मिश्रा
युवा कवि. विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में कवितायें प्रकाशित. संपर्क :9122493975,pcmishra2012@gmail.com
तीन बेटियों वाला घर 

विदा हो रही है घर की बड़ी बेटी आई थी
पिछले महीने गर्मी की छुट्टियों में
डूब उतरा रहा है घर
माँ की हिचकियों और बेटी की रुलाइयों में
फिर आऊंगा माँ
छुटकी की शादी में
ये भी आतुर रहते हैं हर बार
कहते हैं आराम मिल जाता है काम से
कुछ दिनों के लिए
और हाँ माँ  तुम भी अब ज्यादा काम मत करना
और छुटकी के बाद बड़े की शादी भी जल्दी कर देना
रोना नहीं माँ
पूरी जिंदगी तो रोती ही रही तुम
अब क्यों करती हो चिंता
मुझसे और मंझली से तो निश्चिन्त ही हो गयी तुम
छुटकी भी लग ही जाएगी पार इस साल
तू क्यों रोती है माँ
मैं खुश हूँ वहां
किसी चीज की कमी नहीं है मुझे
सभी तो मानते हैं मुझे
आ ही जाती हूँ साल में एक बार
और झगड़ा मत करना बाबूजी से
वे भी तो पड़ जाते हैं अकेले
मन न लगे तो चले जाना बड़े के पास
और ये जो पैसे दिए है तुमने
इसे अपने पास ही रखो
वक्त बेवक्त काम आयेंगे
और ये बोरी में क्या डाल दिया है इतना-सा
थोडा सा सत्तू और अचार ही काफी था
पिछले बार की कोह्डौरी सबने पसंद की थी
मैं चाहती हूँ तुम्हे बुलाना
पर बुला नही सकती मां
वैसे भी तुम कहाँ आओगी बेटी के घर
आखिर मेरी सास भी हैं थोड़ी
ज्यादा सास
पति भी हैं थोड़े ज्यादा पति
घर ज़रूर बदला है उन लोगों का माँ
पर मन नहीं बदला
पर अब कोई तकलीफ नहीं होती माँ
मैंने एडजस्ट कर लिया है खुद को अच्छी तरह
बाबूजी को कहना इस बार दशहरे में आने के लिए
मैं भेजूंगी सबके लिए कपड़े
कहना माँ किसी के झगड़े में न पड़ें वे
और शुरू कर दे तैयारियां छुटकी की शादी की
मैं आ जाउंगी समय से पहले ही
अच्छा माँ अब जा रही हूँ
चिंता मत करना
पहुँचते ही फोन करूंगी
अच्छा माँ विदा /अलविदा माँ.

सामान बेचती लड़की

सरकारी दफ्तरों मे लंच का समय था
चाय की चुस्कियों के साथ सरकारी नीतियों और क्रिकेट
की चर्चा चल रही थी
एक ठहरा हुआ समय यहाँ पसर रहा था
एक विरानी दिख रही थी
और दिख रही थी वह लडकी
अपने बैग में मसाज करने वाला यंत्र लिए
बाबूओं को थकान मिटाने के गुर बताते हुए
वह लडकी बताती है यंत्र की खूबियों के बारे में
थकान तो मिटेगा ही
यदि कोई दर्द रहा यहाँ-वहां
तो वह भी ठीक  हो जायेगा तुरंत
शरीर दुरुस्त रहेगा इसकी तो गारंटी है
वह बाबुओं के शरीर पर फिराती है यंत्र को
और एक सिहरन,एक रोमांच उनकी शिराओं में तैर जाता है
सुप्त कामनाओं के द्वार खुलते हैं उनकी नसों में
लड़की बेच ले जाती है तीन-चार यंत्र
अब वह यही कारनामा दोहरा रही है
दुसरे दफ्तर,कुछ दुसरे बाबुओं के संग
लड़की रोज आती है लंच के समय,
मुस्कान फेंकती,ग्राहकों को रिझाती
अब यह उसकी आदत में तब्दील हो चुकी है
वह भूल चुकी है किस मजबूरी में शुरू किया था यह काम
वह अक्सर पढ़ती है मार्केटिंग से जुडी कोई किताब
और चढ़ती जाती है सफलता के सोपान पर.

हांक

एक हांक पडती है गली में
जमा होती है चार औरतें
बैठ जाता है टिकुलहारा
सजा लेता है बाजार
किसी को बिंदी पसंद आता है
किसी को  चूड़ियाँ
किसी को नेलपौलिस किसी को झुमका
सबको चाहिए खुशियाँ
यह एक पल है जहाँ वे खुद हैं
थाली में पसरा चावल नहीं है उनके पास
न ही बर्तनों का ढेर
न पति और बच्चों की चिंता
न शिकायतों और नाराजगियों की फेहरिश्त
सिर्फ खिलखिलाहटें हैं उनके चेहरों पर
एक चमक एक चुहल जो बमुश्किल आता है उनके हिस्से
वे जो घरों से निकलकर आई हैं दरवाजे के इस पार
उन्होंने सिर्फ दरवाजा ही पार नहीं किया है.

स्त्री 

एक स्त्री होना दो संसारों में होना है
एक स्त्री होना दुःख की नदी में गोते लगाना है
एक स्त्री होना जीवन रचना है
एक स्त्री होना घर होना है
एक स्त्री होना इच्छाओं की अतृप्त नदी में गोते लगाना है
एक स्त्री होना नदी होना है
पहाड़ से समंदर तक की यात्रा करते
दूर आकाश में तारे की तरह टिमटिमाते रहना है.

बेटी की मुस्कान

अभी वह बहुत छोटी है
अपनी तुतलाती भाषा में कहती है-पापा-मम्मा
वह जब कमरे में हंसती है तो लगता है
खिड़की में चाँद निकल आया है
दिन भर की थकान हवा हो गई है बेटी की हंसी से
मेरा जन्म ऐसे घर में हुआ
जो स्त्रियों से भरा हुआ था
चाची,बुआ और बहनों के ठहाकों से गूंजता रहता था घर
इन ठहाको में उनका दुःख कपूर की तरह उड़ जाता
तब घर एक बड़े पेड़ की तरह लगता
जिस पर सुबह से शाम तक पक्षियों का कलरव होता
उसी समय मैंने जाना कि स्त्रियों के बिना नहीं होता घर
वो देखीए अभी फिर से बेटी के चेहरे पर हंसी आई
उसकी तुतलाती भाषा में उसकी शरारत में
लौट आई है चाची,बुआ और बहनों की सारी बातें
इस समय की उसकी मुस्कान सदियों तक पृथ्वी पर गूंजती रहे
एक मनुष्य,एक पिता,एक कवि की यह.

Viewing all articles
Browse latest Browse all 1054

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>