Quantcast
Channel: स्त्री काल
Viewing all articles
Browse latest Browse all 1054

साहित्य के मजदूर का जाना: याद किये गये मजीद अहमद

$
0
0

ईश्वर शून्य


वरिष्ठ कवि और साहित्यिक-सांस्कृतिक पत्रकार मजीद अहमद की स्मृति में 11 अक्टूबर को गांधी शान्ति प्रतिष्ठान में एक स्मृति सभा का आयोजन किया गया. साझा सपना, स्त्रीकाल एवं समकालीन रंगमंच द्वारा आयोजित इस स्मृति सभा में वक्ताओं ने मजीद अहमद को एक निश्छल साहित्य सेवी बताते हुए उनके प्रति साहित्यिक बिरादरी की कृतघ्नता को चिह्नित किया.



इन दिनों मरहूम मजीद अहमद का परिवार दिल्ली में है. उन्हें खासकर इस स्मृति-सभा में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था. यह परिवार दिल्ली में अपने मिश्रित अनुभवों के साथ दो-चार दिनों से रह रहा है, जहाँ से इसे वापस मजीद अहमद का गाँव हरदोई लौट जाना है. यह परिवार महसूस कर रहा है कि दिल्ली में मजीद अहमद अनेक लेखिकाओं/लेखकों के साहित्यिक योगदान में मददगार थे-वर्तनी-भाषा ठीक करने से लेकर, रचनाओं के प्रकाशन और उसकी चर्चा की चिंता और तदनरूप व्यवस्था करते हुए. वहीं इस बेरहम दिल्ली में इस परिवार को ऐसी करोडपति परिवार की लेखिका का भी अनुभव हुआ, जो अमीरों के लिए दिल्ली और उसके परिसर में आलीशान मकानों का इंतजाम करते हुए, मकान बेचते हुए साहित्य सेवी बनी रही, लेखिका बनी रही, लेकिन जब बात अपने लेखन के केयर-टेकर मजदूर मजीद की आयी तो उसे पहचानने से भी इनकार कर दिया. बहुत याद दिलाने पर, जब उसे साहित्यिक मजदूर मजीद की याद आयी तो उसने इतना भर कहा कि ‘ उसके जाने से मेरा बहुत नुकसान हो गया.’ इस वाक्य से आहत होने की औकात भी नहीं होती साहित्यिक मजदूरों की और उसके परिवार की. मजीद अहमद के परिवार ने यह भी सुना कि मजलूमों के लिए काम करने वाले एक साहित्यिक संस्थान में काम करने के 8 घंटे के बीच दो रोटियों की आकांक्षा रखने के लिए भी मजीद अहमद को कुछ और घंटे उस संस्थान को देने पड़ते थे, अथवा यह जाना कि बड़े प्रकाशकों की निष्ठुरता इतनी ठोस होती है कि अपने मजदूर साहित्यकार की मौत पर वह श्रद्धांजलि के दो शब्द भी नहीं खर्च करता क्योंकि उसकी औकात उसकी किताबों की सरकारी खरीद करवाने में मदद की नही होती. इस परिवार ने देखा कि मजीद सबके लिए था, मजीद के लिए बेहद कम लोग-उसने जाना कि मंडी हाउस में उनके साथ होने वाली साहित्यिक-सांस्कृतिक शख्सियतों के लिए मजीद अहमद का होना, न होना कितनी गैरमामूली बात थी.



अनुभव के इस एक चरम से भिन्न अनुभव भी जरूर लेकर जायेगा यह परिवार-जिसने मजीद अहमद की स्मृति-सभा में उन्हें चाहने वाले दो दर्जन से अधिक उनके आत्मीय जनों को महसूस किया. जब मजीद अहमद का बेटा रिजवान रोया तो उसने महसूस किया पूरा सभागार रो रहा है, उपस्थित सारे लोग संवेदित हैं. वरिष्ठ कथाकार महेश दर्पण, वरिष्ठ कवि उद्भ्रांत, लेखिका और एक्टिविस्ट अनिता भारती, सहित उन्हें चाहने वाले कई साहित्यकर्मी-संस्कृतिकर्मी वहां उपस्थित थे. भोपाल से आयी आरती मिश्रा ने शहर में आयोजित किसी बड़े साहित्यिक जलसे और मजीद अहमद की शोक-सभा में से मजीद अहमद की शोक सभा में आने को चुना. वक्ताओं ने मजीद अहमद को बेहद संवेदनशील व्यक्ति और साहित्य के प्रति समर्पित बेहद संवेदनशील व्यक्तित्व के रूप में देखा-एक ऐसा शख्स जिसके साथ युवा लेखकों की एक सहजता थी और युवा लेखिकाओं को सुकून. वह युवा कवयित्रियों का एक ऐसा विश्वस्त सखा था, जिसे वे अपनी ताजा कवितायें सुनाती थीं, उनसे सीखती थीं और जिसके कंधे पर वे पुरसुकून अपना सिर रखकर रो लेती थीं, अपना सुखभाग जिससे बांट लेती थीं.

शोक सभा की शुरुआत में सर्वप्रथम  मजीद अहमद के लिये दोमिनट का मौन रखा गया और उपस्थित साहित्यकारों-संस्कृतिकर्मियों के साथ-साथ मजीद अहमद के परिवार के सदस्यों ने भी उनकी तस्वीर पर अश्रुपूरित फूल अर्पित किये। सभा में मजीद अहमद के जिन साहित्यिक मित्रों ने अपने वक्तव्य में उन्हें शिद्दत से याद किया, उनमें राधेश्याम तिवारी, मनोज मोहन, प्रेमा झा, संजीव चंदन, राजीव सुमन, राजेश चन्द्र, ईश्वर शून्य और पूजा शर्मा के नाम उल्लेखनीय हैं। अन्य उपस्थित साहित्यकारों में प्रमुख थे- जगतारजीत सिंह, राजेश सेमवाल और इरेन्द्र बबुअवा।



मजीद अहमद एक शोर भरे माहौल में चुपके से निकललिये-निर्लिप्त! उनके चाहने वालों ने यद्यपि उनके परिवार के लिए एक सहायता कोष निर्मित करने की ठानी है, लेकिन वे तो अब निकल चुके, सबसे दूर-साहित्यिक निष्ठुरता के ताप से भी और मित्रतापूर्ण सदाशयता के आह्लाद से भी.

ईश्वर शून्य रंगकर्मी हैं और मजीद अहमद के मित्रों में से एक हैं. संपर्क:ishwarshunya005@gmail.com


लिंक पर  जाकर सहयोग करें , सदस्यता लें :  डोनेशन/ सदस्यता
आपका आर्थिक सहयोग स्त्रीकाल (प्रिंट, ऑनलाइन और यू ट्यूब) के सुचारू रूप से संचालन में मददगार होगा.

स्त्रीकाल का प्रिंट और ऑनलाइन प्रकाशन एक नॉन प्रॉफिट प्रक्रम है. यह 'द मार्जिनलाइज्ड'नामक सामाजिक संस्था (सोशायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के तहत रजिस्टर्ड) द्वारा संचालित है. 'द मार्जिनलाइज्ड'के प्रकशन विभाग  द्वारा  प्रकाशित  किताबें  अमेजन ,   फ्लिपकार्ट से ऑनलाइन  खरीदें 
संपर्क: राजीव सुमन: 9650164016, themarginalisedpublication@gmail.com

Viewing all articles
Browse latest Browse all 1054

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>